गणेश चतुर्थी 2025: जानें क्यों मनाई जाती है और कैसे होती है उत्सव की भव्यता

नई दिल्ली : देशभर में आज से गणेश चतुर्थी का पर्व पूरे श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह त्योहार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को आता है और इसे भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
गणेश चतुर्थी का महत्व
भगवान गणेश को ‘विघ्नहर्ता’ और ‘सिद्धि विनायक’ कहा जाता है। मान्यता है कि किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत गणेश जी के पूजन से करने पर सभी बाधाएँ दूर होती हैं और सफलता मिलती है। यही कारण है कि गणेश चतुर्थी का पर्व पूरे भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
कैसे मनाई जाती है गणेश चतुर्थी?
- इस दिन लोग अपने घरों और सार्वजनिक पंडालों में गणेश जी की सुंदर मूर्तियां स्थापित करते हैं।
- पूजा-अर्चना, मंत्रोच्चारण और आरती के साथ भगवान गणेश का स्वागत किया जाता है।
- महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और गोवा में यह उत्सव सबसे ज्यादा भव्य रूप में दिखाई देता है।
- लड्डू और मोदक, जो गणेश जी का प्रिय भोग माना जाता है, भक्त विशेष रूप से चढ़ाते हैं।
- 10 दिनों तक चलने वाले इस उत्सव का समापन अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन के साथ होता है, जब शोभायात्रा के बाद मूर्तियों को नदियों और तालाबों में विसर्जित किया जाता है।
सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व
गणेश चतुर्थी सिर्फ धार्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक मेलजोल का प्रतीक भी है। पंडालों में कला, संगीत, नृत्य और नाटक के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। बड़े-बड़े शहरों में थीम आधारित पंडाल सजाए जाते हैं, जो भक्तों के आकर्षण का केंद्र बनते हैं।
आधुनिक समय में गणेश उत्सव
आजकल पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए इको-फ्रेंडली गणेश मूर्तियों का चलन बढ़ रहा है। मिट्टी और प्राकृतिक रंगों से बनी मूर्तियों का प्रयोग किया जा रहा है ताकि जल प्रदूषण न हो और प्रकृति को नुकसान न पहुँचे।