प्रेमानंद जी को किडनी देना चाहता है मुस्लिम युवक

भोपाल/वृंदावन : सोचिए… जहाँ धर्म और मज़हब की दीवारें अक्सर लोगों को बाँट देती हैं, वहीं मध्यप्रदेश का एक मुस्लिम युवक ऐसा कदम उठाता है जो इंसानियत की सबसे बड़ी मिसाल बन जाता है। उसने कहा – अगर मेरी किडनी किसी की जान बचा सकती है, तो उसे देना ही मेरा धर्म है… यह कहानी है आरिफ़ खान की, जिन्होंने प्रेमानंद जी महाराज की तबीयत बिगड़ने पर आगे बढ़कर अपनी किडनी डोनेट करने की इच्छा जताई। सोशल मीडिया और पूरे देश में ये खबर चर्चा का विषय बन गई।लोग कहने लगे – यही तो असली खूबसूरती है हमारे देश की, जहाँ इंसानियत हर मज़हब से ऊपर होती है। आरिफ़ का कहना था – “मैं मज़हब नहीं देखता, मैं इंसान देखता हूँ। अगर मेरी किडनी महाराज जी की ज़िंदगी बचा सकती है तो यह मेरे लिए सबसे बड़ा सौभाग्य होगा।”यह घटना न केवल इंसानियत की शक्ति दिखाती है, बल्कि यह भी याद दिलाती है कि एक दूसरे के लिए जीना ही सबसे बड़ा धर्म है।प्रेमानंद जी महाराज वृंदावन के राधा वल्लभ सम्प्रदाय से जुड़े हैं। वे पिछले लगभग 18–19 सालों से किडनी की गंभीर बीमारी (पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज) से पीड़ित हैं। उनकी दोनों किडनियां खराब हो चुकी हैं और वे लगातार डायलिसिस पर जिंदगी जी रहे हैं।