संविधान संशोधन बिल: अमित शाह बोले– पीएम-सीएम जेल से सरकार नहीं चला सकते

नई दिल्ली : गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में पेश किए गए संविधान संशोधन बिल की जोरदार पैरवी की। इस बिल के मुताबिक अगर कोई प्रधानमंत्री (PM) या मुख्यमंत्री (CM) 30 दिनों से ज्यादा जेल में रहता है, तो वह पद पर नहीं बना रह सकता।
अमित शाह ने कहा कि, “चाहे कोई भी प्रधानमंत्री हो, मुख्यमंत्री हो या मंत्री, वह जेल में रहकर सरकार नहीं चला सकता।” उन्होंने आगे कहा कि पहले भी नैतिक आधार पर नेताओं ने इस्तीफा दिया है, जिनमें लालकृष्ण आडवाणी और जॉर्ज फर्नांडीस जैसे बड़े नाम शामिल हैं। हाल ही में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी इस्तीफा दिया था।
नैतिकता और राजनीतिक संदर्भ
अमित शाह ने कहा कि संविधान निर्माताओं ने कभी ऐसी कल्पना नहीं की होगी कि कोई जेल में रहते हुए भी मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री पद पर बना रहेगा। उन्होंने कहा कि यह नया कानून देश की राजनीति में नैतिक मूल्यों को बनाए रखने का काम करेगा।
अमित शाह का व्यक्तिगत अनुभव
चर्चा के दौरान शाह ने अपने पुराने अनुभव को याद किया। उन्होंने कहा कि जब गुजरात के गृह मंत्री रहते हुए उन पर मुकदमा चला और सीबीआई ने समन भेजा, तो उन्होंने तुरंत इस्तीफा दे दिया।
“मेरे ऊपर आरोप लगा और जैसे ही समन आया, मैंने दूसरे दिन इस्तीफा दे दिया। अरेस्ट बाद में हुई, केस चला और अदालत ने कहा कि यह राजनीतिक बदले की भावना का केस था। मुझे निर्दोष करार दिया गया।”
उन्होंने कहा कि उन्हें बेल 96वें दिन पर मिली, लेकिन तब तक उन्होंने किसी संवैधानिक पद पर शपथ नहीं ली थी।
न्यायपालिका से जुड़ा सवाल
एक इंटरव्यू में जब उनसे पूछा गया कि न्यायाधीश आफताब आलम उनके घर हस्ताक्षर लेने आए थे, तो शाह ने इसे खारिज किया।
“नहीं, ऐसा नहीं हुआ। आलम साहब मेरे घर नहीं आए। बल्कि उन्होंने रविवार को स्पेशल कोर्ट लगाकर मेरी बेल एप्लीकेशन सुनी। उनकी चिंता थी कि मैं गृह मंत्री रहते हुए साक्ष्य को प्रभावित कर सकता हूं। इसलिए मेरे वकील ने कहा कि बेल डिसाइड होने तक मैं गुजरात से बाहर रहूंगा।” शाह ने बताया कि वह लगातार दो साल गुजरात से बाहर रहे, जबकि आमतौर पर बेल एप्लीकेशन 11 दिन से ज्यादा नहीं चलती।