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‘आप बिना बुलाए जाकर गले मिलते हैं’, राज्यसभा में मल्लिकार्जुन खरगे का PM मोदी पर हमला

 ‘आप बिना बुलाए जाकर गले मिलते हैं’, राज्यसभा में मल्लिकार्जुन खरगे का PM मोदी पर हमला
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नई दिल्ली। राज्यसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के दौरान विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की औचक पाकिस्तान यात्रा पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि हम पाकिस्तान की निंदा करते रहे हैं, लेकिन हम इधर निंदा करते हैं और आप जाकर उनकी दावत में उन्हें गले लगा लेते हैं।

आप खुद ही गलती करते हैं और दूसरों को पाठ पढ़ाते हैं। ऐसा नहीं करना चाहिए। हमारी पार्टी का देश के विकास में बड़ा योगदान है, लेकिन आपके पास एक भी ऐसी उपलब्धि नहीं है। आप पंडित नेहरू को बहुत कोसते हैं। सच बताइए। गृह मंत्री पहलगाम हमले से पहले जम्मू कश्मीर में सुरक्षा हालात की समीक्षा करने गए थे और उन्होंने कहा था कि कश्मीर में सुरक्षा ट्रिपल कर दी गई है, अगर ऐसा है तो पहलगाम में आतंकी कहां से आए?

उन्होंने कहा कि हमले से सिर्फ तीन दिन पहले प्रधानमंत्री ने अपना कश्मीर दौरा रद्द कर दिया था। मैंने पहले भी पूछा था, लेकिन जवाब नहीं मिला कि क्या आपके पास आतंकी हमले की सूचना थी? 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हमला हुआ, लेकिन सरकार कह रही है कि जो कुछ हमने किया, वो सही किया। राहुल गांधी ने पहलगाम हमले को लेकर विशेष सत्र बुलाने की मांग की, लेकिन सरकार ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

खरगे ने कहा कि सरकार को बहुत अहंकार है। जवाब देने की फुर्सत नहीं है, लेकिन लोगों को गले पड़ने की फुर्सत है। 1962 में जब भारत-चीन युद्ध चल रहा था, तब चंद सांसदों की मांग पर विशेष सत्र बुलाया गया। तत्कालीन प्रधानमंत्री ने बुलाया और कहा कि देश की जनता को ये पता चलना चाहिए, लेकिन अब आप मना कर देते हैं।

हमले के बाद प्रधानमंत्री बिहार में चुनाव प्रचार कर रहे थे। 24 अप्रैल को सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई, उसमें भी पीएम मोदी नहीं आए और सऊदी अरब से आकर बिहार चुनाव प्रचार करने चले गए। क्या प्रधानमंत्री की यही गंभीरता है? खरगे ने कहा कि जम्मू कश्मीर के एलजी ने खुद स्वीकारा कि पहलगाम में सुरक्षा में चूक हुई। उन्होंने हमले की जिम्मेदारी ली, लेकिन यह सुरक्षा में चूक है और इसकी जिम्मेदारी गृह मंत्री को लेनी चाहिए न कि एलजी को।

आप कांग्रेस को कोसते रहते हैं, लेकिन अपना भी तो कुछ बताइए, कब तक कांग्रेस के नाम पर जिंदा रहेंगे। एलजी ने पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली तो क्या ये गृह मंत्री को बचाने के लिए दिया गया। या एलजी को ऐसा करने के लिए दिया गया? खरगे ने आगे कहा, ‘पहलगाम हमले के बाद सभी ने सेना को समर्थन दिया। हमने कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में फैसला किया कि ये राजनीति करने का समय नहीं है और एकजुटता दिखाने का समय है। हमने सरकार को समर्थन दिया।

देशहित में हमने हर कदम पर सरकार को सपोर्ट किया, लेकिन प्रधानमंत्री विपक्षी पार्टियों के खिलाफ चुनावी भाषण करते फिरते हैं। सिर्फ चार दिनों में पाकिस्तानी फायरिंग में 27 भारतीय नागरिक, जिनमें 5 बच्चे भी शामिल हैं और 70 घायल हो गए इन लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भिजवाया जा सकता था, लेकिन सरकार ने ध्यान नहीं दिया वरना इन्हें बचाया जा सकता था।

उसके बाद भाजपा के एक राज्यसभा सांसद ने कहा कि पहलगाम हमले में जो लोग मारे गए, उनकी पत्नियों में वीरांगनाओं में जैसा भाव नहीं था, इसलिए वो हाथ जोड़ रहीं थी और गिड़गिड़ा रही थी। आपकी महिलाओं के प्रति ये इज्जत है। ऐसे लोगों को कान पकड़कर बाहर निकालों। इससे बदनामी होती है।’

उन्होंने कहा कि भारतीय सेना की महिला अधिकारी के बारे में मध्य प्रदेश के एक नेता की अपमानजनक टिप्पणी पर खरगे ने कहा कि ऐसे बयानों की निंदा करनी चाहिए। जब तक आप अपने लोगों को कंट्रोल नहीं करते तो दूसरी तरफ से भी प्रतिक्रिया आती है तो ये लोग देशद्रोही करार देते हैं। जैसे देशभक्ति का ठेका सिर्फ इनके पास है। सुप्रीम कोर्ट ने उस मंत्री के बयान की निंदा की, क्या भाजपा ऐसे लोगों को पार्टी से बाहर निकालेंगे।

खरगे ने राज्यसभा में कहा, ‘सरकार का कहना है कि पाकिस्तान ने घुटने टेक दिए थे और पाकिस्तान गिड़गिड़ा रहा था, लेकिन फिर अचानक से युद्धविराम की घोषणा हो गई। सवाल ये है कि सीजफायर की घोषणा कहां से हुई और क्यों हुई। इसकी घोषणा हमारे प्रधानमंत्री, गृह मंत्री या विदेश मंत्री ने नहीं की, बल्कि अमेरिका के वॉशिंगटन से हुई।

ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ाई रोकी। राष्ट्रपति ट्रंप एक दो बार नहीं, बल्कि 29 बार ये बात दोहरा चुके हैं और मेरा भाषण खत्म होने तक 30 बार हो जाएगा। ट्रंप ने कहा कि उन्होंने व्यापार का इस्तेमाल कर युद्ध रुकवाया। अब ये व्यापार की बात किसके फायदे की थी? कौन देश को बेचकर पैसा कमाना चाहता है?’

खरगे ने कहा कि प्रधानमंत्री गालियों तक का हिसाब रखते हैं, लेकिन भारत के सम्मान के खिलाफ राष्ट्रपति ट्रंप की बात पर मोदी जी क्यों चुप्पी साधे हुए हैं? एक प्रेस कॉन्फ्रेंस ने कहा कि पांच जेट गिराए गए तो ये क्या है।

प्रधानमंत्री बताएं कि हमारे जेट गिरे क्या? ये प्रधानमंत्री को बताना चाहिए? हम कभी तीसरे पक्ष के पास नहीं जाते और यही हमारी नीति है कि तीसरे पक्ष को शामिल करके हम कोई समझौता नहीं करते, लेकिन सरकार इस नीति के खिलाफ भी चली गई।’

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि हम जानना चाहते हैं कि किन शर्तों पर सीजफायर हुआ और पाकिस्तान के बैकफुट पर होने के बावजूद आपने इसे क्यों स्वीकार किया?  क्या अमेरिका ने इसमें दखल दिया, अगर हां तो आपने ऐसा क्यों करने दिया? अगर ट्रंप ने सीजफायर कराया तो क्या ये हमारी नीति के खिलाफ नहीं है? क्या कारोबार की धमकी दी गई? सरकार इन सवालों के जवाब दे।

 

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