बिहार चुनाव 2025: ‘बदलाव की लहर…’, बिहार में रिकॉर्ड वोटिंग के बाद बोले प्रशांत किशोर
सुपौल में अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए किशोर ने कहा कि विश्लेषकों ने पूरे विश्वास के साथ चुनाव का अनुमान लगाया था, लेकिन किसी ने नहीं सोचा था कि बिहार में इतना उच्च मतदान होगा। उनका तर्क है कि यह दर्शाता है कि मतदाता दशकों से चली आ रही पुरानी राजनीति से तंग आ चुके हैं और बदलाव के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, “चुनाव में इतनी बड़ी भागेदारी यह दिखाती है कि बिहार में बदलाव निश्चित रूप से आ रहा है।”
किशोर ने यह भी बताया कि अधिक मतदान का मतलब है कि लोग डर के कारण नहीं, बल्कि उसके खिलाफ वोट कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी आरजेडी का डर पैदा कर वोट पाने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि उनके पास जनता को लुभाने के लिए कुछ नया नहीं है। उन्होंने कहा, “यदि आप कह रहे हैं कि जंगल राज वापस नहीं आना चाहिए, तो फिर ऐसा क्यों कहा जा रहा है? जन सुराज ही नया विकल्प है।”
पहले फेज के मतदान का भी उल्लेख करते हुए किशोर ने कहा कि 121 सीटों पर लगभग 65.08 प्रतिशत मतदान हुआ, जो 2020 के विधानसभा चुनाव (57.29%) और 2024 के लोकसभा चुनाव (56.28%) से काफी अधिक है। उनका तर्क है कि यह दर्शाता है कि लोग भय के कारण नहीं, बल्कि बदलाव की चाह में वोट कर रहे हैं। किशोर ने कहा कि बिहार की 60 प्रतिशत से अधिक आबादी बदलाव चाहती है और जन सुराज के आने के बाद लोगों को एक मजबूत विकल्प मिला है।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी जारी है। किशोर ने सत्तारूढ़ गठबंधन पर आरोप लगाया कि उन्होंने राज्य में रोजगार उपलब्ध कराने में विफलता दिखाई है और मजदूरों को पलायन के लिए मजबूर किया है। उनका कहना है कि पारंपरिक रूप से एनडीए को वोट देने वाले प्रवासी मजदूर अब उनके समर्थन में बदलाव कर रहे हैं। किशोर ने यह भी कहा कि बिहार में उद्योग-धंधे लगाने के लिए जमीन की कमी नहीं है, बल्कि सरकार की नीतियों में खामियां हैं। गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि सरकार जमीन उपलब्ध कराने में फिसड्डी साबित हुई है, और इस वजह से बिहार में रोजगार के नए अवसर नहीं बन पा रहे हैं।
बिहार की राजनीति में इस वक्त नए बदलाव की आहट साफ सुनाई दे रही है। जनता की भागीदारी और मतदान की उच्च संख्या इस बात का संकेत है कि अब बिहार की जनता बदलाव के लिए तैयार है। जन सुराज के समर्थन में वोटिंग का यह आंकड़ा संकेत है कि बिहार में परिवर्तन की लहर अब जोर पकड़ रही है। आने वाले दिनों में इस चुनावी जंग का परिणाम क्या होगा, यह देखने वाली बात होगी।



