Facebook Twitter Instagram youtube youtube

वंदे भारत स्लीपर पहली बार 180 किमी/घंटा की रफ्तार से दौड़ी, इतिहास रचने को तैयार

 वंदे भारत स्लीपर पहली बार 180 किमी/घंटा की रफ्तार से दौड़ी, इतिहास रचने को तैयार
Spread the love

वंदे भारत स्लीपर ट्रेन का दूसरा रेक अपने ट्रायल रन के दौरान 180 किमी प्रति घंटे की गति प्राप्त करने में सफल रहा है। यह परीक्षण भारतीय रेलवे के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, क्योंकि इससे इसकी उच्च गति, स्थिरता और सुरक्षा का परीक्षण किया गया है। इस नई सेमी-हाई-स्पीड ट्रेन का विकास बीईएमएल (BEML) द्वारा आईसीएफ (ICF) टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके किया गया है, जो लंबे रूटों को कवर करने के लिए डिज़ाइन की गई है।

यह परीक्षण अनुसंधान डिजाइन एवं मानक संगठन (RDSO) के परीक्षण निदेशालय की टीम द्वारा किया जा रहा है, जो भारतीय रेलवे की सुरक्षा और विश्वसनीयता का परीक्षण सुनिश्चित करता है। कोटा मंडल पश्चिम मध्य रेलवे (WCR) जोन के अंतर्गत आने वाले इस क्षेत्र में ट्रायल का संचालन हो रहा है। 17 नवंबर तक, RDSO वंदे भारत स्लीपर ट्रेन के दूसरे रेक का उच्च गति परीक्षण जारी रखेगा, जबकि इससे पहले 2 नवंबर को इस परीक्षण की शुरुआत हुई थी। इससे पहले, इस ट्रेन का परीक्षण महोबा-खजुराहो खंड पर किया गया था। वर्तमान में, 16 डिब्बों वाली वंदे भारत स्लीपर ट्रेन के दूसरे रेक का परीक्षण सवाई माधोपुर-कोटा-नागदा खंड पर किया जा रहा है।

यह परीक्षण वास्तविक यात्री भार जैसी परिस्थितियों में किया गया है ताकि ट्रेन की वास्तविक संचालन क्षमता का आकलन किया जा सके। रेक को पूरी तरह से भरी हुई स्थिति में चलाया गया, जिसमें 800 टन रेक भार के साथ-साथ 108 टन अतिरिक्त भार (प्रत्येक 50 किग्रा लौह चूर्ण से भरे कनस्तरों के रूप में) जोड़ा गया। इस परीक्षण में, ट्रेन को 180 किमी प्रति घंटे की अधिकतम गति से चलाया गया। इसके साथ ही, इसकी ब्रेकिंग क्षमता, स्थिरता, कंपन की विश्वसनीयता का भी परीक्षण किया गया। कुल मिलाकर, ट्रेन को लगभग 908 टन भार के साथ चलाया गया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह वास्तविक ऑपरेशनल परिस्थितियों में सुरक्षित और विश्वसनीय है।

परीक्षण के दौरान, ट्रेन ने रोहलखुर्द-लाबान स्टेशनों के बीच 50 किमी तक का लॉन्ग कन्फर्मेटरी रन (LCR) सफलतापूर्वक पूरा किया, जिसमें 180 किमी प्रति घंटे की गति हासिल की गई। इसके अलावा, तेज गति पर ट्रेन की स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दोलन परीक्षण, गीली पटरी पर इमरजेंसी ब्रेकिंग परीक्षण जैसे महत्वपूर्ण परीक्षण भी किए गए। इन परीक्षणों से यह सुनिश्चित होता है कि ट्रेन उच्च गति पर भी स्थिर और सुरक्षित रहे।

यह उल्लेखनीय है कि ट्रेन की गति को 80 किमी प्रति घंटे तक कैसे प्राप्त किया जाए, इसके लिए कई तकनीकी उपाय किए गए हैं। इनमें शामिल हैं, मजबूत ब्रेकिंग सिस्टम, बेहतर स्थिरता प्रौद्योगिकी, उच्च गुणवत्ता वाली सस्पेंशन प्रणाली, और बेहतर वायुगतिकीय डिज़ाइन। इन तकनीकों का संयोजन ट्रेन को उच्च गति पर भी स्थिरता और सुरक्षा प्रदान करता है। साथ ही, अत्याधुनिक सेंसर और निगरानी प्रणालियों का इस्तेमाल भी किया जाता है, जो ट्रेन के प्रदर्शन को निरंतर मॉनिटर करते हैं और किसी भी असामान्यता का तुरंत पता लगाते हैं।

यह सभी प्रयास भारतीय रेलवे को उच्च गति की ट्रेनों को सफलतापूर्वक संचालित करने में मदद करेंगे, जिससे यात्रा का समय कम होगा और यात्रियों को बेहतर सुविधा मिलेगी। वंदे भारत स्लीपर ट्रेन का यह परीक्षण भारतीय रेलवे की उच्च गति वाली यातायात सेवाओं के क्षेत्र में एक बड़ा कदम है, जो देश में रेल यात्रा को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।

Related post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *