Facebook Twitter Instagram youtube youtube

सेखुई गांव में जल निकासी को लेकर हिंसक संघर्ष: पुलिस की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल

 सेखुई गांव में जल निकासी को लेकर हिंसक संघर्ष: पुलिस की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल
Spread the love

बांसी कोतवाली क्षेत्र के सेखुई गांव में जल निकासी को लेकर दो पटिदारों के बीच हुई हिंसक झड़प ने स्थानीय प्रशासन और पुलिस व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। इस घटना में पीड़िता मीना देवी और उनके परिवार के सदस्यों को गंभीर चोटें आई हैं, जबकि आरोप है कि पुलिस कार्रवाई में लापरवाही बरती गई है, जिससे पीड़ितों में नाराजगी व्याप्त है।

घटना का विवरण इस प्रकार है कि सेखुई गांव के दो पटिदारों के बीच नाली की जल निकासी को लेकर कई दिनों से विवाद चल रहा था। आरोप है कि एक पटिदार, अम्बिका प्रसाद, अपने दबंगई के बल पर जबरन नाली खोदकर जल निकासी कर रहे थे। जब पीड़िता मीना देवी ने इसका विरोध किया, तो आरोप है कि अम्बिका प्रसाद और उनके साथियों ने उन्हें गाली दी और मारपीट पर उतारू हो गए। इस दौरान पीड़िता को गंभीर चोटें आईं, और जब उसके ससुर बीच-बचाव करने आए, तो आरोपियों ने उन्हें लाठी-डंडों से लैस होकर पीटा, जिससे वे बुरी तरह घायल हो गए।

शिकायत के बाद भी पुलिस ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। पीड़िता ने बांसी कोतवाली पहुंचकर घटना की रिपोर्ट दर्ज कराई, लेकिन वहां भी कार्रवाई में देरी हुई। इस पर पीड़िता ने पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थनगर को भी शिकायत पत्र सौंपा, जिसमें न्याय की गुहार लगाई गई है। हालांकि, पुलिस का कहना है कि दीपावली के त्योहार के कारण मामले में थोड़ी देरी हुई, लेकिन आरोपियों के खिलाफ जल्द ही कार्रवाई की जाएगी।

यह घटना न केवल गांव में तनाव का कारण बनी है, बल्कि यह पुलिस और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर रही है। पीड़िता का कहना है कि यदि समय रहते उचित जांच और कार्रवाई की जाती, तो शायद इस हिंसक झड़प से बचा जा सकता था। स्थानीय लोगों में भी 이런 घटनाओं को लेकर नाराजगी व्याप्त है, और वे चाहते हैं कि दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई हो।

बांसी कोतवाली के प्रभारी का कहना है कि दीपावली के त्योहार के कारण कुछ देरी हुई है, लेकिन आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई निश्चित रूप से की जाएगी। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया है कि मामले में सही जांच कर कार्रवाई की जाएगी।

यह घटना इस बात को रेखांकित करती है कि जल निकासी और भू-स्वामित्व को लेकर विवाद कितने जटिल और हिंसक हो सकते हैं। ग्राम पंचायत और स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि वे ऐसे विवादों का समाधान शांति और सौहार्दपूर्ण तरीके से करें ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।

सामाजिक स्तर पर भी यह आवश्यक है कि आपसी समझ और सहयोग से विवादों का समाधान किया जाए। पीड़ित परिवार को न्याय मिलना चाहिए, ताकि उनके आक्रोश को शांत किया जा सके और गांव में शांति बनी रहे। यदि प्रशासन और पुलिस अपनी जिम्मेदारी सही ढंग से निभाए, तो ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सकता है।

यह घटना एक चेतावनी है कि जल निकासी, भूमि विवाद और सामाजिक तनाव को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। समय रहते उचित कदम उठाकर विवादों का समाधान किया जाना चाहिए, ताकि समुदाय में शांति और सद्भाव कायम रह सके।

Related post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *