कौन है मंत्री का नाम लेकर युवक से नाक रगड़वाने वाला विकुल चपराना? मेरठ पुलिस ने किया अरेस्ट; लापरवाही पर चौकी इंचार्ज सहित 3 पुलिसकर्मी लाइन हाजिर
यह खबर मेरठ में हाल ही में हुई एक घटनाक्रम का ज्वलंत उदाहरण है, जो न केवल कानून व्यवस्था की स्थिति पर सवाल खड़े करता है बल्कि राजनीतिक दबंगई और प्रशासनिक निष्पक्षता के मुद्दे को भी उजागर करता है। मेरठ के मेडिकल थाना क्षेत्र के तेजगढ़ी चौराहा पर 19 अक्टूबर को हुई इस घटना ने पूरे क्षेत्र में तहलका मचा दिया है, जिसमें एक मामूली पार्किंग विवाद के बाद एक युवक के साथ जो घटना हुई, उसने इलाके की सुरक्षा व्यवस्था और पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
घटना का संक्षेप में विवरण
पिछली रात की इस घटना का मुख्य बिंदु यह है कि भाजपा किसान मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष विकुल चपराना ने पार्किंग को लेकर कुछ युवकों से कहासुनी की। विवाद escalate करता हुआ मारपीट में तब्दील हो गया। इस दौरान विकुल ने अपने राजनीतिक पद का दुरुपयोग करते हुए ऊर्जा राज्यमंत्री सोमेंद्र तोमर का नाम लेकर भरे बाजार में धमकाया और धमकी दी। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि पीड़ित युवक सड़क पर झुक कर माफी मांग रहा है और उसकी कार में पुलिसकर्मी बैठे हैं, ताकि गाड़ी को मौके से निकाला जा सके।
दबंगई और गुंडागर्दी का प्रदर्शन
विकुल और उसके साथियों ने न केवल धमकाया बल्कि सड़क पर ही नाक रगड़वाने का शर्मनाक कृत्य भी किया। युवक का हाथ जोड़कर माफी मांगना और सड़क पर झुक कर नाक रगड़ना सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी। घटना के समय पुलिस के कुछ कर्मी मौजूद थे, लेकिन उनके द्वारा कोई कार्रवाई न करना सवाल खड़ा करता है कि क्या पुलिस निष्पक्षता से काम कर रही है।
पुलिस की निष्क्रियता और कार्रवाई
घटना के तुरंत बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया और आरोपी विकुल चपराना को गिरफ्तार कर लिया। इसके साथ ही, लापरवाही बरतने वाले चौकी इंचार्ज समेत तीन पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया गया है। यह कदम पुलिस की जिम्मेदारी और उत्तरदायित्व का प्रतीक है, लेकिन सवाल यह है कि पुलिस की मौखिक कार्रवाई क्यों नहीं थी और क्यों आरोपी का वीडियो वायरल होने के बाद ही कार्रवाई हुई।
राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
विकुल चपराना का यह कृत्य राजनीति में उनकी सक्रियता का परिचायक है, लेकिन इस तरह का आचरण समाज में अनुशासन और कानून का राज स्थापित करने में बाधक है। आरोप है कि उसने अपने राजनीतिक प्रभाव का दुरुपयोग करते हुए युवक को धमकाया, गाली दी, उसकी गाड़ी के शीशे तोड़े और सड़क पर नाक रगड़वाया। ये सब घटनाएं न केवल कानून का उल्लंघन हैं बल्कि सामाजिक मूल्यों के भी खिलाफ हैं।
पुलिस प्रशासन की भूमिका
इस पूरे प्रकरण में पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। वीडियो में स्पष्ट दिख रहा है कि पुलिसकर्मी मौन थे या यूं कहें कि निष्क्रियता बरत रहे थे, जो उनके कर्तव्य के प्रति असमंजस को दर्शाता है। यदि पुलिस समय पर कार्रवाई करती, तो शायद ऐसी घटना नहीं होती।
निष्कर्ष और सुझाव
यह घटना यह दर्शाती है कि कानून और व्यवस्था का पालन तभी संभव है जब पुलिस और प्रशासन निष्पक्षता और जिम्मेदारी से काम करें। राजनीतिक दबाव या प्रभाव के चलते कानून का उल्लंघन करने वालों को संरक्षण देना समाज के लिए खतरनाक है।सामाजिक जागरूकता और प्रशासनिक सजगता जरूरी है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। साथ ही, राजनीतिक दलों को भी चाहिए कि वे अपनी छवि को बनाए रखने के लिए जिम्मेदारी का परिचय दें और अपने कार्यकर्ताओं को अनुशासन में रहने की सीख दें। यह घटना न केवल मेरठ बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के लिए एक चेतावनी है कि कानून का सम्मान हर नागरिक का कर्तव्य है और प्रशासनिक निष्पक्षता ही समाज में न्याय और शांति का आधार है। जनता को चाहिए कि वे ऐसी घटनाओं के खिलाफ आवाज उठाएं और सही न्याय की उम्मीद करें, ताकि कानून का राज कायम रहे और समाज में विश्वास बना रहे।



