रितेश पांडे के चुनावी मैदान में आने पर नेहा सिंह राठौर का सवाल- किसे बना रहे हैं मूर्ख?
बिहार: बिहार विधानसभा चुनावों से पहले भोजपुरी इंडस्ट्री के कई चेहरे राजनीति में कदम बढ़ा रहे हैं। चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही राजनीति के साथ-साथ भोजपुरी सिनेमा इंडस्ट्री में भी हलचल मच गई है। 6 और 11 नवंबर को दो चरणों में होने वाले इस चुनाव में उम्मीदवार अपना नामांकन दाखिल कर रहे हैं। इस बार बिहार की राजनीति में भोजपुरी कलाकारों का सक्रिय योगदान देखने को मिल रहा है। खासतौर पर, आरजेडी ने भोजपुरी स्टार खेसारी लाल यादव को छपरा से टिकट देकर इस दिशा में बड़ा कदम उठाया है। अब खबरें आ रही हैं कि जनता जन सुराज पार्टी ने भोजपुरी के लोकप्रिय गायक रितेश रंजन पांडे को भी अपने टिकट पर उम्मीदवार बनाया है।
हालांकि, इन कदमों को लेकर भोजपुरी सिनेमा की जानी-मानी अभिनेत्री नेहा सिंह राठौर का रुख निराशाजनक है। उन्होंने इन कलाकारों के राजनीति में आने को लेकर तीखे सवाल खड़े किए हैं। जब खेसारी लाल यादव का चुनाव लड़ने का समाचार सामने आया, तो नेहा सिंह राठौर ने सोशल मीडिया पर अपने गाने ‘ओठलाली से रोटी बोर के’ का लिंक शेयर कर तंज कसा। उन्होंने लिखा, “कोई महाअश्लील है…कोई दर छिछोरा है… लेकिन इन सब को विधायक बनना है। जनता की सेवा किए बिना ये लोग जी नहीं पा रहे…सांस उखड़ रही है…बेचैनी बढ़ रही है…ये बिहार को लंदन बनाकर ही मानेंगे। अब असली परीक्षा जनता की है…और उसे ये साबित करना ही होगा कि वो मूर्ख नहीं है।” यहां नेहा ने स्पष्ट रूप से इन उम्मीदवारों को जनता का भरोसा नहीं मिलने का संकेत दिया है।
इसके बाद नेहा ने एक और ट्वीट में भोजपुरी स्टार खेसारी लाल यादव और रितेश रंजन पांडे का जिक्र किया। उन्होंने खेसारी पर तंज कसते हुए कहा कि ‘ओठलाली से रोटी बोर के’ गाने का लिंक शेयर कर कहा, “रितेश पांडे (जन-सुराज प्रत्याशी)। प्रशांत किशोर, इन जैसों को प्रत्याशी बनाकर आप बिहार की राजनीति और बिहार को बदलना चाहते हैं? किसे मूर्ख बना रहे हैं? जनता गरीब है मूर्ख नहीं।” इस ट्वीट में नेहा ने सवाल किया कि इन कलाकारों को उम्मीदवार बनाकर क्या वास्तव में बिहार की राजनीति में बदलाव आएगा या फिर यह सब सिर्फ एक दिखावा है।
नेहा सिंह राठौर का यह रुख स्पष्ट तौर पर विपक्ष का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने अपने ट्वीट्स में इस बात पर भी जोर दिया कि बिहार के असली मुद्दे किन-किन हैं। उन्होंने कहा, “बिहार के असली मुद्दे बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, पेपर लीक, खराब स्वास्थ्य सुविधाएं, जहरीली शराब और अपराध हैं। इन मुद्दों को भूलकर अपने पैर पर कुल्हाड़ी मत मारिएगा।” उनका मानना है कि इन मुद्दों से ध्यान भटकाकर राजनीतिज्ञ अपनी राजनीति चमकाने का प्रयास कर रहे हैं।
बिहार विधानसभा चुनावों के इस माहौल में भोजपुरी कलाकारों का राजनीति में प्रवेश एक नई बहस का विषय बन गया है। जहां कुछ लोग इसे जनता की आवाज़ को मजबूत करने का कदम मान रहे हैं, वहीं नेहा सिंह राठौर जैसी हस्तियां इस कदम का विरोध कर रही हैं और सवाल उठा रही हैं कि क्या इन कलाकारों का राजनीति में आना बिहार के असली मुद्दों से ध्यान भटकाने का प्रयास तो नहीं। इस बार का चुनाव बिहार की राजनीति का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, जहां जनता इन सवालों का जवाब देगी कि वह अपने मुद्दों के प्रति कितनी जागरुक है।



