महागठबंधन में VIP को 15 सीटें, राहुल गांधी के प्रयास से गतिरोध खत्म; राज्यसभा और MLC सीटों का भी प्रस्ताव
पटना: बिहार महागठबंधन में सीट बंटवारे का मामला आखिरकार सुलझ गया है। इसमें प्रमुख भूमिका निभाने वाली विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) को 15 विधानसभा सीटें मिली हैं। यह निर्णय इसलिए महत्वपूर्ण था क्योंकि सीटों की संख्या कम होने के कारण महागठबंधन में असमंजस की स्थिति बन गई थी। इस समस्या का समाधान निकालने के लिए राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने भी भरोसा दिलाया है कि वह वादा पूरा करेगा और वीआईपी को एक राज्यसभा सीट और दो विधान परिषद (एमएलसी) सीटें प्रदान करेगा। इससे महागठबंधन की एकजुटता और मजबूत हुई है।
सीट बंटवारे पर सहमति बनने के तुरंत बाद, वीआईपी ने देर रात दो सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। पार्टी प्रमुख और बिहार के प्रसिद्ध नेता मुकेश सहनी खुद दरभंगा जिले की गौड़ा बौराम सीट से चुनाव लड़ेंगे। वहीं, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बाल गोविंद बिंद भभुआ विधानसभा सीट से अपना नामांकन करेंगे। दोनों उम्मीदवार शुक्रवार को अपना पर्चा दाखिल करेंगे। उल्लेखनीय है कि बिहार में पहले चरण के मतदान का आखिरी दिन भी है, इसलिए इन उम्मीदवारों का नामांकन अधिक महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
सीट बंटवारे में आए गतिरोध और उसके सुलह का पूरा घटनाक्रम भी खासा चर्चा में रहा। मुकेश सहनी ज्यादा सीटों पर अड़े हुए थे, जिसके कारण महागठबंधन में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला फाइनल नहीं हो पा रहा था। बुधवार को उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी, जिसे बाद में कई बार टाला गया। इस स्थिति को दरकिनार करने के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मध्यस्थता की। उन्होंने मुकेश सहनी से फोन पर बातचीत की और समझौते के लिए प्रयास किया। अंततः, दोनों नेताओं के बीच सहमति बन गई। सीटें फाइनल होने के बाद, वीआईपी ने अपने प्रत्याशियों को पार्टी का चुनाव चिह्न भी सौंप दिया है।
गौड़ा बौराम सीट का महत्व भी बहुत बड़ा है। इस सीट से मुकेश सहनी नामांकन दाखिल करेंगे, क्योंकि इसी सीट पर पहले चरण में मतदान होना है। 2020 के विधानसभा चुनाव में यह सीट वीआईपी ने जीती थी, लेकिन उस समय उनकी विधायक स्वर्णा सिंह बाद में भाजपा में शामिल हो गई थीं। इस बार भाजपा ने स्वर्णा सिंह का टिकट काटकर सुजीत कुमार सिंह को मैदान में उतारा है। इससे इस सीट का महत्व और बढ़ गया है, क्योंकि यह दर्शाता है कि इस बार का मुकाबला काफी कड़ा होने की उम्मीद है।
बिहार महागठबंधन का यह सीट बंटवारा न केवल राजनीतिक समीकरणों को समझने का अवसर है, बल्कि यह भी दिखाता है कि विभिन्न दलों के बीच समन्वय और समझौते की प्रक्रिया कितनी जटिल हो सकती है। मुकेश सहनी और वीआईपी की भूमिका बिहार की राजनीति में खासा महत्व रखती है, और उनके उम्मीदवारों का चुनावी मैदान में उतरना आगामी विधानसभा चुनाव के परिणामों को प्रभावित कर सकता है। इस प्रक्रिया में राहुल गांधी की मध्यस्थता और पार्टी नेताओं के बीच संवाद ने आखिरकार इस विवाद को सुलझाने में मदद की है, जिससे महागठबंधन मजबूत होकर चुनावी मैदान में उतर रहा है।



