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गायिका मैथिली ठाकुर ने अलीनगर सीट से दाखिल किया नामांकन, आरजेडी के विनोद मिश्रा से मुकाबला तय

 गायिका मैथिली ठाकुर ने अलीनगर सीट से दाखिल किया नामांकन, आरजेडी के विनोद मिश्रा से मुकाबला तय
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मधुबनी की लोकगायिका और युवा आवाज़ मैथिली ठाकुर ने आखिरकार अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत कर दी है। अलीनगर विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी के रूप में उन्होंने अपना नामांकन दाखिल किया है, जिससे यह सीट और भी ज्यादा दिलचस्प और मुकाबले की रंगत में आ गई है। इस घटना ने न सिर्फ राजनीतिक हलकों में बल्कि आम जनता के बीच भी चर्चा का विषय बन गया है। मैथिली ठाकुर का यह कदम युवाओं, महिलाओं और लोक संस्कृति को राजनीति में नई ऊर्जा और बदलाव का संकेत माना जा रहा है।

मैथिली ठाकुर का राजनीतिक कदम: एक नई शुरुआत

25 वर्षीय मैथिली ठाकुर का नाम देशभर में उनके मधुर और लोकप्रिया आवाज़ के लिए जाना जाता है। बिहार के मधुबनी जिले से ताल्लुक रखने वाली इस युवा गायिका ने अपने जीवन में कई बार अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर देश-विदेश में लोकप्रियता हासिल की है। सोशल मीडिया पर उनके लाखों फॉलोअर्स हैं, जिन्होंने उनके गीत-संगीत और पारंपरिक लोक संस्कृति को प्यार किया है। लेकिन अब उन्होंने अपनी आवाज़ को राजनीति के मंच पर भी बुलंद किया है।

14 अक्टूबर को उन्होंने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की, जिसके बाद उन्हें प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने पार्टी का पट्टा पहनाकर औपचारिक रूप से पार्टी में शामिल किया। इसके तुरंत बाद, बीजेपी ने उन्हें अलीनगर सीट से उम्मीदवार घोषित किया। यह कदम युवाओं और महिलाओं के बीच एक सकारात्मक संदेश देने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है कि युवा नेतृत्व को राजनीति में भी जगह मिलनी चाहिए और लोक संस्कृति को राजनीति का हिस्सा बनाना चाहिए।

नामांकन और पहली जनसभा: जनता का समर्थन

नामांकन के बाद मैथिली ठाकुर ने अपनी पहली जनसभा बेनीपुर स्टेडियम में की। इस सभा में भारी संख्या में समर्थक जुटे, जिन्होंने उनके समर्थन में नारे लगाए और उन्हें जीत का आशीर्वाद दिया। इस दौरान केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय भी स्टार प्रचारक के रूप में मौजूद रहे और उन्होंने जनता से मैथिली ठाकुर के पक्ष में वोट की अपील की।

यह पहली जनसभा उनके लिए खास थी क्योंकि इससे उन्हें जनता का सीधा समर्थन मिला और यह उनके राजनीतिक सफर की शुरुआत का संकेत भी था। उनके समर्थकों का मानना है कि मैथिली ठाकुर जैसे युवा और लोकधर्मी चेहरे को राजनीति में लाकर बीजेपी ने एक नया संदेश भेजा है कि राजनीति में भी लोक संस्कृति और युवा ऊर्जा का समावेश हो सकता है।

मुकाबला दिलचस्प: बीजेपी बनाम RJD

अलीनगर सीट पर अब मुकाबला काफी रोमांचक हो गया है। बीजेपी ने मैथिली ठाकुर पर दांव लगाकर युवा और महिलाओं के बीच एक नया संदेश देने की कोशिश की है। वहीं, दूसरी ओर, RJD अपने पारंपरिक जनाधार पर भरोसा कर रही है और अपनी मजबूत पकड़ बनाये रखना चाहती है।

विनोद मिश्रा, जो RJD के प्रत्याशी हैं, ने भी इस सीट पर अपनी मजबूत पकड़ बनाई हुई है। उनके समर्थक मानते हैं कि पारंपरिक वोट बैंक और सामाजिक आधार उनके पक्ष में है। लेकिन, मैथिली ठाकुर की लोकप्रियता और लोकसंगीत के जरिए जनता के बीच पहुंचने का तरीका उन्हें एक अलग ही स्थिति में खड़ा कर रहा है।

राजनीतिक रणनीति और चुनावी माहौल

बिहार की राजनीति में लोकगायिका से नेता बने मैथिली ठाकुर का प्रवेश एक नई दिशा की ओर संकेत करता है। यह कदम युवा वोटर्स, महिलाओं और लोक संस्कृति के समर्थकों को आकर्षित करने का प्रयास है। बीजेपी ने उन्हें इस सीट पर उम्मीदवार बनाकर यह दिखाने की कोशिश की है कि पार्टी युवा नेतृत्व और लोक संस्कृति को सम्मान देती है।

वहीं, RJD अपनी पारंपरिक राजनीति और सामाजिक आधार को मजबूत करने में लगी है। दोनों ही पक्षों के बीच कड़ी टक्कर की उम्मीद है, और जनता का समर्थन किस ओर रहेगा, यह चुनाव परिणाम में ही पता चलेगा।

मतदाता और जनता की प्रतिक्रिया

मैथिली ठाकुर के राजनीति में कदम से स्थानीय जनता में उत्साह और जिज्ञासा दोनों देखी जा रही है। युवाओं के बीच उनके प्रति खास उत्साह है, क्योंकि उन्होंने अपने गीत-संगीत के माध्यम से बिहार की लोक संस्कृति को देश-विदेश में पहचान दिलाई है। महिलाओं में भी उनकी लोकप्रियता है, जो राजनीतिक मैदान में भी उनके लिए सहायक साबित हो सकती है।

वहीं, कुछ मतदाताओं का मानना है कि यह उनके लिए नई जिम्मेदारी है और उन्हें जनता के हित में काम करना चाहिए। विपक्षी दल भी इस मुकाबले को मजबूत बनाने में लगे हैं, ताकि वह अपने वोट बैंक को मजबूत कर सके।

निष्कर्ष: एक नई राजनीति की शुरुआत

मैथिली ठाकुर का अलीनगर सीट से चुनाव लड़ना निश्चित ही राजनीति में नई ऊर्जा और बदलाव का संकेत है। यह साबित करता है कि लोककलाओं से जुड़े लोग भी अब राजनीति के मंच पर कदम रख सकते हैं और अपनी लोक संस्कृति का प्रचार-प्रसार कर सकते हैं। यह चुनाव न सिर्फ व्यक्तिगत जीत या हार का मामला है, बल्कि यह बिहार की राजनीति में युवाओं और महिलाओं के लिए नए अवसरों का सृजन भी है। यदि वे जनता का समर्थन प्राप्त करने में सफल होते हैं, तो यह राजनीति में नई दिशा और बदलाव का संकेत हो सकता है। अलीनगर विधानसभा सीट का यह मुकाबला निश्चित ही बिहार की राजनीति में एक नया अध्याय लिखने जा रहा है, जिसमें युवा नेतृत्व और लोक संस्कृति का मेल देखने को मिलेगा। जनता का फैसला ही तय करेगा कि इस लोकगायिका से नेता बने युवा प्रत्याशी की किस्मत क्या होगी।

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