उपेंद्र कुशवाहा की निराशा जारी: आज बादलों की साजिश के बाद भी सीट शेयरिंग पर नहीं हुई सहमति
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियां तेज हो चुकी हैं, और राजनीतिक दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर चल रही बातचीत और मतभेद अब सार्वजनिक रूप से सामने आ रहे हैं। इनमें सबसे प्रमुख नाम उपेंद्र कुशवाहा का है, जिन्होंने फिर से अपने असंतोष और निराशा को अपने अंदाज में व्यक्त किया है। उनके इस बयान का राजनीतिक हलकों में खासा प्रभाव देखा जा रहा है, क्योंकि यह संकेत देता है कि एनडीए में सीटों को लेकर चल रही खींचतान अभी पूरी तरह समाप्त नहीं हुई है।
कुशवाहा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, “अगर फलक को जिद है बिजलियां गिराने की, तो हमें भी जिद है वहीं पर आशियां बसाने की।” यह शायरी उनके अंदर की जिद और अपने स्वाभिमान की भावना को दर्शाती है, साथ ही यह भी संकेत देती है कि वे अपनी पार्टी के हितों के लिए संघर्षरत हैं। इस संदेश के माध्यम से उन्होंने अपने और अपनी पार्टी की स्थिति को स्पष्ट किया है कि वे अभी भी अपनी बात पर डटे हैं और किसी भी कीमत पर अपने अधिकारों के लिए लड़ने को तैयार हैं।
इसके पहले, उन्होंने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों से माफी भी मांगी है। अपने पोस्ट में उन्होंने लिखा, “आप सभी से क्षमा चाहता हूं। आपके मन के अनुकूल सीटों की संख्या नहीं हो पाई। मैं समझ रहा हूं, इस फैसले से अपनी पार्टी के उम्मीदवार होने की इच्छा रखने वाले साथियों समेत हजारों-लाखों लोगों का मन दुखी होगा। आज कई घरों में खाना नहीं बना होगा।” इस बात से स्पष्ट है कि कुशवाहा अपने समर्थकों के दिलों की भी चिंता कर रहे हैं और उन्होंने अपनी हार या निराशा को स्वीकार किया है।
कुशवाहा ने आगे लिखा, “किसी भी निर्णय के पीछे कुछ परिस्थितियां ऐसी होती हैं जो बाहर से दिखती हैं, मगर कुछ ऐसी भी होती हैं जो बाहर से नहीं दिखतीं। हम जानते हैं कि अंदर की परिस्थितियों से अनभिज्ञता के कारण आपके मन में मेरे प्रति गुस्सा भी होगा जो स्वाभाविक भी है।” उन्होंने यह भी कहा कि वे अपने समर्थकों का धैर्य बनाए रखने और समय का इंतजार करने का आग्रह कर रहे हैं, क्योंकि राजनीतिक स्थिति अभी पूरी तरह स्पष्ट नहीं है।
बिहार में विधानसभा चुनाव की बात करें तो एनडीए ने अपने सीट बंटवारे का फार्मूला तय कर लिया है। इसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जेडीयू और भारतीय जनता पार्टी को समान संख्या में 101-101 सीटें दी गई हैं। वहीं, लोजपा (रामविलास पासवान की पार्टी) को 29 सीटें मिली हैं। इसके अलावा, जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा को 6-6 सीटें दी गई हैं। हालांकि, इन आंकड़ों की आधिकारिक घोषणा अभी बाकी है, लेकिन यह संकेत स्पष्ट हैं कि सीट बंटवारे को लेकर अभी भी विवाद और असंतोष की स्थिति बनी हुई है।
बिहार में विधानसभा के चुनाव दो चरणों में होंगे। पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को और दूसरे का 11 नवंबर को होगा। वोटों की गिनती 14 नवंबर को होगी। उम्मीदवारों के नामांकन की अंतिम तिथि 17 अक्टूबर निर्धारित की गई है, और राजनीतिक दल अपने-अपने उम्मीदवारों की सूची धीरे-धीरे जारी कर रहे हैं। इस बार का चुनाव न केवल राज्य के राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित करने वाला है, बल्कि यह संभावित बदलावों का भी संकेत देगा कि जनता किसके साथ है।
बिहार की राजनीतिक हवा इस समय काफी गर्म है, और हर दल अपने-अपने हिसाब से चुनावी रणनीति बना रहा है। कुशवाहा जैसे नेताओं की नाराजगी और निराशा इस बात का संकेत है कि सीट बंटवारे को लेकर अभी भी असंतोष है, जो चुनावी परिणामों को प्रभावित कर सकता है। सभी दलों की नजरें अब वोटों की गिनती पर टिकी हैं, और देखना यह है कि जनता किसे अपना समर्थन देती है।
बिहार चुनाव 2025 का परिणाम न केवल राज्य की राजनीति के लिए बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी महत्वपूर्ण हो सकता है, क्योंकि इसमें नई ताकतें उभर सकती हैं या पुराने समीकरण टूट सकते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार का चुनाव अधिक जटिल और मुकाबले से भरपूर होने वाला है, जिसमें हर वोट मायने रखता है।
यह कहा जा सकता है कि बिहार की राजनीति फिर से गरमाहट के दौर में है, और सभी दल अपने-अपने तरीके से चुनावी मैदान में हैं। कुशवाहा जैसी नेताओं की नाराजगी और सीट बंटवारे को लेकर चल रही लडाई इस बात का संकेत है कि यह चुनाव बहुत ही दिलचस्प और ड्रामेटिक होने वाला है, जिसमें जनता का फैसला ही अंतिम होगा।



