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बिहार चुनाव 2025: मैथिली ठाकुर को टिकट मिलने की अटकलों के बीच विधायक मिश्री लाल यादव ने बीजेपी छोड़ने का किया ऐलान

 बिहार चुनाव 2025: मैथिली ठाकुर को टिकट मिलने की अटकलों के बीच विधायक मिश्री लाल यादव ने बीजेपी छोड़ने का किया ऐलान
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दरभंगा के अलीनगर से भाजपा विधायक मिश्री लाल यादव ने पार्टी से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी है। उन्होंने अपने आरोपों में कहा है कि भाजपा में दलितों और पिछड़े वर्गों को उनका हक नहीं मिल रहा है, जिससे वह नाराज हैं। इस घटनाक्रम के साथ ही बिहार की राजनीतिक बेला में हलचल तेज हो गई है, क्योंकि यादव के INDIA गठबंधन में शामिल होने की अटकलें जोर पकड़ रही हैं। सूत्रों के अनुसार, भाजपा पार्टी अलीनगर सीट से मैथिली ठाकुर को टिकट देने पर विचार कर रही है, जो इस क्षेत्र में चर्चाओं का विषय बन गया है।

बिहार में उम्मीदवारों के नामांकन से पहले ही नेताओं के दल बदलने का सिलसिला शुरू हो गया है। भाजपा विधायक मिश्री लाल यादव ने शनिवार को पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके अपने इस्तीफे की घोषणा की। उन्होंने कहा, “मैंने अलीनगर से एनडीए के लिए पहली बार जीत दर्ज कराई थी, जबकि इससे पहले धन और बाहुबल वाले कई उम्मीदवार असफल रहे।” यादव ने आरोप लगाया कि पार्टी में दलितों और पिछड़े वर्गों के साथ भेदभाव हो रहा है और उन्हें उनका उचित हक नहीं मिल पा रहा है।

मिश्री लाल यादव का यह कदम राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। वह लंबे समय से नाराज चल रहे थे, और माना जा रहा है कि पार्टी द्वारा अलीनगर सीट से मैथिली ठाकुर को टिकट देने की योजना को लेकर उनका असंतोष बढ़ रहा था। सूत्रों के अनुसार, यादव ने अपने समर्थकों के साथ मिलकर जल्द ही अपना इस्तीफा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दिलिप जायसवाल को सौंपने का फैसला किया है। यादव ने कहा, “मैंने अलीनगर से पहली बार जीत दर्ज कराई है, और अब मैं अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर गंभीर हूं।”

बता दें कि मिश्री लाल यादव ने 2020 का विधानसभा चुनाव विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के टिकट पर जीता था। यह पार्टी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की एनडीए सहयोगी थी। हालांकि, 2022 में भाजपा के दबाव में पार्टी के संस्थापक मुकेश सहनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया, जिसके बाद पार्टी गठबंधन से बाहर हो गई। इसके तुरंत बाद, मिश्री लाल यादव समेत पार्टी के चार विधायक भाजपा में शामिल हो गए। उन्होंने अपने नए राजनीतिक सफर की शुरुआत भाजपा के साथ की, लेकिन अब वह विपक्षी खेमे की ओर रुख कर रहे हैं।

यादव के राजनीतिक कदम को लेकर यह कयास लगाए जा रहे हैं कि वह अब आरजेडी और इंडिया गठबंधन के संपर्क में हैं। सूत्रों का कहना है कि यादव आगामी चुनावों में विपक्षी गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतर सकते हैं। हालांकि, भाजपा की ओर से अभी तक उनके इस्तीफे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यादव का यह कदम बिहार की चुनावी राजनीति को प्रभावित कर सकता है, और उनके समर्थन में बदलाव का असर सीटों के समीकरण पर पड़ेगा।

बिहार के राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि यादव का इस्तीफा और उनके अगला कदम भाजपा के लिए एक झटके की तरह हो सकता है। यदि यादव आरजेडी या किसी अन्य विपक्षी पार्टी के साथ जाते हैं, तो यह सत्ता पक्ष के लिए एक चुनौती बन सकता है। वहीं, पार्टी सूत्रों का कहना है कि भाजपा इस स्थिति से निपटने के लिए विकल्प तलाश रही है और अपनी रणनीति बना रही है।

इधर, मैथिली ठाकुर का नाम भी चर्चा में है, जो अलीनगर सीट से भाजपा की संभावित उम्मीदवार हो सकती हैं। उनके पक्ष में पार्टी का समर्थन मजबूत होने की खबरें हैं, जिससे यादव की नाराजगी और बढ़ गई है। यह स्थिति बिहार के चुनावी माहौल को और भी जटिल बना सकती है, क्योंकि पार्टी की टिकट वितरण नीति और नेताओं के बीच का विवाद तेज हो रहा है।

समाप्ति में, बिहार की राजनीति में इन घटनाक्रम का असर आगामी चुनावों में देखने को मिलेगा। मिश्री लाल यादव का पार्टी छोड़ना और उनका संभावित विपक्षी गठबंधन में शामिल होना, दोनों ही महत्वपूर्ण घटनाएं हैं, जो राज्य की सत्ता के समीकरण को बदल सकती हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह के दल बदल और नेताओं के पत्ते खोलने का सिलसिला चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकता है और जनता के बीच भी संदेश जाएगा कि बिहार की राजनीति कितनी जटिल और गतिशील है।

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