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कमरे में जानवरों के साथ रहने से लेकर केमिस्ट्री के नोबेल विजेता तक: उमर की प्रेरणादायक यात्रा

 कमरे में जानवरों के साथ रहने से लेकर केमिस्ट्री के नोबेल विजेता तक: उमर की प्रेरणादायक यात्रा
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जॉर्डन के अम्मान शहर में एक गरीब परिवार में जन्मे उमर एम. याघी की कहानी आज पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है। एक रिफ्यूजी परिवार में पलने वाले इस युवा वैज्ञानिक ने अपने जीवन में अनेक संघर्षों का सामना किया, लेकिन विज्ञान के प्रति उनकी जिज्ञासा और मेहनत ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। अब उन्हें रसायनशास्त्र में किए गए उनके अद्भुत शोध के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, जो रेगिस्तान की हवा से पानी निकालने की नई तकनीक पर आधारित है। यह खोज आने वाली सदी की एक गंभीर समस्या का समाधान कर सकती है।

संघर्षों का सफर: गरीबी और सीमाओं के बीच विज्ञान का सफर

उमर का जन्म 1965 में जॉर्डन के अम्मान में हुआ था, जब पश्चिम एशिया हिंसा और संघर्ष की चपेट में था। उनके घर में बिजली और नल का पानी नहीं था; माता-पिता मुश्किल से पढ़-लिख सकते थे। छोटे से कमरे में, जहां उनके साथ जानवर भी रहते थे, वहीं से उनकी जिंदगी का सफर शुरू हुआ। उनके पिता छठी कक्षा तक पढ़े थे, और मां भी पढ़ नहीं पाई थीं। इन कठिन परिस्थितियों में, उमर का विज्ञान के प्रति जिज्ञासा जागृत हुई जब वे केवल 10 साल के थे।

प्रेरणादायक शुरुआत: परमाणु मॉडल की तस्वीरें और जिज्ञासा

उम्र मात्र 10 साल की थी, जब उन्होंने अपने स्कूल के बंद पड़े पुस्तकालय में एक किताब में परमाणु संरचना का मॉडल देखा। यह मामूली सी तस्वीर उनके लिए विज्ञान के प्रति एक नई दुनिया का द्वार बन गई। उन्हें परमाणु के मॉडल से प्यार हो गया, और उनकी जिज्ञासा धीरे-धीरे गहरी होती गई। 15 साल की उम्र में, अपने पिता की सलाह पर, वे अमेरिका चले गए, जहां उनके टैलेंट को पहचान मिली।

अमेरिका में शिक्षा और संघर्ष

अमेरिका में नई दुनिया का अनुभव उनके जीवन का मोड़ साबित हुआ। न्यूयॉर्क के एक कम्युनिटी कॉलेज से शुरू कर उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और फिर स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ़ न्यूयॉर्क से डिग्री हासिल की। इस दौरान, उन्हें किराने का सामान पैक करना और फर्श साफ़ करना पड़ा, ताकि अपने सपनों को पूरा करने के लिए आर्थिक साधन जुटा सकें। 1990 में, उन्होंने इलिनोइस विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने कई अमेरिकी विश्वविद्यालयों में शोधकार्य किया और 2012 में यूसी बर्कले में वैज्ञानिक के रूप में अपनी नई यात्रा शुरू की।

विज्ञान से प्रेम और सफलता

उमर का कहना है कि अमेरिका की सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली ने उन्हें न केवल शिक्षित किया, बल्कि उन्हें अपने सपनों को पूरा करने का अवसर भी दिया। उन्होंने कहा, “यह मेरी सफलता का कारण है, कि कैसे एक वंचित पृष्ठभूमि का व्यक्ति भी कड़ी मेहनत और समर्पण से ऊंचाइयों को छू सकता है।” आज, वे यूसी बर्कले में अपने शोध कार्य में लगे हैं, और उनका शोध रेगिस्तान की हवा से पानी निकालने की तकनीक पर केंद्रित है।

नोबेल पुरस्कार और भविष्य की राह

उनकी खोज आने वाली सदी की एक बड़ी समस्या—पानी की कमी—का समाधान हो सकती है। उनके इस शोध ने न केवल वैज्ञानिक समुदाय में बल्कि पूरी दुनिया में उम्मीदें जगा दी हैं। उमर का जीवन हमें यह सिखाता है कि गरीबी, संघर्ष और सीमाओं के बावजूद, यदि जिज्ञासा और मेहनत साथ हो तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। उनकी कहानी हमें प्रेरित करती है कि सपनों का पीछा करना चाहिए, और अपने प्रयासों से दुनिया को बदल सकते हैं। उमर एम. याघी की कहानी यह दर्शाती है कि दृढ़ संकल्प और मेहनत से गरीबी और कठिनाइयों को पार किया जा सकता है। उनके जीवन का सफर यह साबित करता है कि यदि अवसर मिलें और जागरूकता हो, तो हर कोई अपने सपनों को साकार कर सकता है। उनकी उपलब्धि हमारे समाज के लिए एक प्रेरणा है कि शिक्षा, परिश्रम और आशावान दृष्टिकोण से हम अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं और दुनिया को बदल सकते हैं।

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