बिहार की कोसी नदी का खतरा: फिर से डूब सकते हैं सहरसा, सुपौल और खगड़िया
पिछले पाँच दिनों से नेपाल में लगातार बारिश हो रही है। इसके कारण नेपाल की सीमा पर बने कोसी बैराज के सारे गेट खोलने पड़े हैं। इससे नदियाँ बहुत अधिक पानी लेकर बह रही हैं। छोटी-छोटी नदियाँ जैसे अधवारा भी मानसून में उफान पर आ जाती हैं, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है। उत्तर बिहार के कुछ हिस्सों में फिर से पानी भरने का खतरा है। भारी बारिश के कारण नदियाँ उफान पर हैं, जिससे घर, सड़कें और खेत डूब रहे हैं।
बिहार में कोसी नदी नेपाल से निकलकर बिहार में बहती है। इसकी दिशा बार-बार बदलने और तटबंध टूटने की वजह से यहाँ बहुत समस्याएँ होती हैं। कोसी नदी का बार-बार धारा बदलना और तटबंध टूटना इस इलाके का बड़ा संकट है। इसके अलावा, कमला बलान नदी नेपाल से निकलकर मधुबनी, दरभंगा, सहरसा और सुपौल जैसे इलाक़ों में बाढ़ लाती है। बागमती नदी भी नेपाल की पहाड़ियों से निकलकर बिहार के कई जिलों में बाढ़ का कारण बनती है। इन नदियों का जलस्तर बहुत ऊपर चला गया है, जिससे स्थिति और खराब हो सकती है।
लोगों को सलाह दी गई है कि वे ऊंचे स्थानों पर चले जाएं। खासकर सुपौल, सहरसा, मधेपुरा और खगड़िया में खतरा ज्यादा है। नेपाल की कोसी नदी भी इस समय खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। सरकार ने इन जिलों में आपात स्थिति लागू कर दी है और लोगों से सुरक्षित स्थान पर जाने का आग्रह किया है। नेपाल में इस साल भारी बारिश के कारण अब तक 100 से अधिक लोग मारे गए हैं, और अभी भी बारिश जारी है। दर्जनों लोग अभी भी लापता हैं।
यह स्थिति चिंता का विषय है, क्योंकि बारिश अभी भी रुकने का नाम नहीं ले रही है। लोगों को सतर्क रहने और सुरक्षित जगहों पर जाने की सलाह दी गई है। सरकार और प्रशासन हर संभव मदद कर रहे हैं ताकि लोग सुरक्षित रह सकें। नेपाल और बिहार दोनों में भारी बारिश और बाढ़ का खतरा बना हुआ है।



