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बिहार चुनाव: 7.41 करोड़ मतदाता करेंगे नई सरकार का चुनाव

 बिहार चुनाव: 7.41 करोड़ मतदाता करेंगे नई सरकार का चुनाव
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बिहार में इस बार के विधानसभा चुनाव के लिए मतदाताओं की संख्या काफी ध्यान देने वाली है। चुनाव आयोग ने नई मतदाता सूची जारी की है, जिसमें बताया गया है कि कुल कितने लोग वोट डालने के लिए पंजीकृत हैं। इस प्रक्रिया को विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) कहा जाता है, जिसका मकसद है सही और ताजा मतदाता सूची बनाना। आइए, आसान भाषा में समझते हैं कि इस बार की मतदाता सूची में क्या बदलाव आया है।

मतदाताओं की कुल संख्या में बदलाव

इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव के लिए कुल 7 करोड़ 41 लाख 92 हजार 357 मतदाता वोट डालने के लिए पंजीकृत हैं। यह आंकड़ा 2020 के मुकाबले थोड़ा बढ़ा है, जिसमें कुल 7 करोड़ 36 लाख 47 हजार 660 मतदाता थे। इसका मतलब है कि इस बार लगभग 5 लाख 44 हजार 697 नए मतदाता जुड़े हैं।

लेकिन, एसआईआर के बाद बिहार में मतदाताओं की संख्या में कमी भी देखी गई है। पहले, यानी 2020 में, बिहार में कुल 7 करोड़ 89 लाख 69 हजार 844 मतदाता थे। एसआईआर के बाद, यानी 30 सितंबर 2025 की नई सूची के अनुसार, लगभग 48 लाख मतदाता हटाए गए हैं। यह कमी मुख्य रूप से कुछ खास वजहों से हुई है, जैसे:

  • मृत मतदाताओं का नाम हटाया गया।
  • जो मतदाता एक से ज्यादा बार रजिस्टर थे, उन्हें भी हटाया गया।
  • बिहार से बाहर चले गए मतदाताओं का नाम भी हटा दिया गया।
  • कुछ मतदाताओं ने अपने दावे और आपत्ति दर्ज कराई, जिनके बाद कुछ नाम हटाए गए।

पुरुष और महिला मतदाताओं का बंटवारा

इस बार के चुनाव में पुरुष मतदाताओं की संख्या 3 करोड़ 92 लाख 7 हजार 804 है। यह संख्या 2020 में लगभग 3 करोड़ 87 लाख 89 हजार 388 थी। यानी, पुरुष मतदाताओं में करीब 4 लाख 18 हजार 416 का इजाफा हुआ है।

महिला मतदाताओं की संख्या भी बढ़ी है। इस बार कुल 3 करोड़ 49 लाख 82 हजार 828 महिलाएँ वोट डालने के लिए पंजीकृत हैं। 2020 में इनकी संख्या 3 करोड़ 48 लाख 55 हजार 815 थी। यानी, महिलाओं में लगभग 1 लाख 27 हजार 13 की वृद्धि हुई है।

इसके अलावा, इस बार के चुनाव में 1,725 अन्य मतदाता भी वोट डालने के लिए पंजीकृत हैं। 2020 में यह संख्या 2,457 थी।

युवा और दिव्यांग मतदाता

आयोग के आंकड़ों के अनुसार, बिहार में 18-19 साल के युवाओं की संख्या 14 लाख 1 हजार 150 है। ये युवा मतदाता पहली बार वोट डालेंगे।

दिव्यांग मतदाताओं की संख्या भी महत्वपूर्ण है। इस बार कुल 7 लाख 20 हजार 709 दिव्यांग मतदाता वोट डालने के पात्र हैं।

एसआईआर से पहले और बाद में मतदाताओं की संख्या

एसआईआर से पहले, यानी 2020 तक, बिहार में कुल 7 करोड़ 89 लाख 69 हजार 844 मतदाता थे। लेकिन, जब नई सूची आई, तो यह संख्या घटकर 7 करोड़ 41 लाख 92 हजार 357 रह गई। इसका मतलब है कि लगभग 48 लाख मतदाताओं के नाम इस प्रक्रिया में हटाए गए।

यहां ध्यान देने वाली बात है कि इन नामों को क्यों हटाया गया? इसके पीछे कई वजहें हैं:

  • बहुत सारे मतदाता अब नहीं रहते हैं, यानी मृत हो चुके हैं।
  • कुछ मतदाता एक से अधिक बार रजिस्टर थे।
  • बिहार से बाहर चले गए लोग भी मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं।
  • कुछ मतदाताओं ने अपने नाम हटाने के लिए दावा किया, जिन पर बाद में निर्णय लिया गया।

आखिरी बात

इस पूरी प्रक्रिया का मकसद है कि चुनाव में सही और ताजा मतदाता ही वोट डालें। इससे चुनाव का भरोसा और निष्पक्षता बनी रहती है। नई मतदाता सूची में बदलाव देखकर यह पता चलता है कि बिहार में युवा और महिलाओं का वोटिंग में बढ़ावा मिल रहा है, जो लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत है।

अगर आप भी बिहार के चुनाव में वोट डालने के लिए योग्य हैं, तो अपनी मतदाता सूची में अपना नाम जरूर चेक करें। इससे आप अपने हक का इस्तेमाल कर सकेंगे और लोकतंत्र में भागीदारी निभा सकेंगे।

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