उत्तरकाशी में पत्रकार राजीव प्रताप की हत्या, भ्रष्टाचार रिपोर्टिंग के बाद निशाना
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में एक गंभीर और दुखद घटना ने मीडिया और राजनीतिक परिदृश्य को झकझोर कर रख दिया । 36 वर्षीय राजीव प्रताप की हत्या ने देशभर में पत्रकारों की सुरक्षा और मीडिया की स्वतंत्रता को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। राजीव प्रताप इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन (IIMC) से पढ़े थे और लंबे समय से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय थे।
राजीव प्रताप एक अनुभवी पत्रकार थे, जिन्होंने कई संवेदनशील और महत्वपूर्ण मुद्दों पर रिपोर्टिंग की। उनके काम में निष्पक्ष और तथ्यपरक खबरों पर जोर था। उन्हें स्थानीय और राज्यस्तरीय मामलों की जानकारी रखने वाले पत्रकार के रूप में जाना जाता था।
सूत्रों के अनुसार, राजीव प्रताप ने हाल ही में जिला अस्पताल उत्तरकाशी में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की रिपोर्टिंग की थी। माना जा रहा है कि उनकी हत्या इसी रिपोर्टिंग के कारण की गई। उनका काम प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग में चल रहे अनियमितताओं को उजागर करने वाला था। पुलिस और विशेषज्ञों का कहना है कि पत्रकारों को इस तरह के संवेदनशील मामलों में काम करने के कारण हमेशा खतरा रहता है।
उत्तराखंड में सत्ता में भाजपा सरकार है, और विपक्ष ने इस हत्या के बाद सरकार पर पत्रकार सुरक्षा सुनिश्चित न करने का आरोप लगाया है। विपक्ष के नेताओं का कहना है कि यह मामला दर्शाता है कि देश में एक आम पत्रकार के लिए अपने काम को सुरक्षित ढंग से करना खतरनाक हो सकता है। विपक्ष ने मांग की है कि सरकार पत्रकारों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए।
मीडिया संगठनों और नागरिक समाज ने इस हत्या की कड़ी निंदा की है। पत्रकार संगठन, मानवाधिकार समूह और नागरिकों ने इस मामले में तत्काल न्याय और मृतक के परिवार को समर्थन सुनिश्चित करने की मांग की है। सोशल मीडिया पर लोग और युवा वर्ग इस घटना के खिलाफ आवाज़ उठा रहे हैं, ताकि पत्रकारों के खिलाफ किसी भी प्रकार की हिंसा को रोका जा सके।
उत्तरकाशी पुलिस ने मामले की जाँच शुरू कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि आरोपियों की पहचान और गिरफ्तारियाँ की जा रही हैं। पुलिस ने कहा कि इस तरह की सक्रिय कार्रवाई न केवल दोषियों को पकड़ने के लिए जरूरी है, बल्कि अन्य पत्रकारों के लिए सुरक्षा का संदेश भी देती है। प्रशासन ने जिले में सुरक्षा बढ़ा दी है और संवेदनशील इलाक़ों में निगरानी को और सख्त किया गया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि पत्रकारों की सुरक्षा और स्वतंत्र रिपोर्टिंग लोकतंत्र की बुनियादी आवश्यकता है। इस तरह की हत्या यह संदेश देती है कि सरकार और प्रशासन को पत्रकारों के लिए विशेष सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करने होंगे। स्वतंत्र मीडिया लोकतंत्र की चौकसी का स्तंभ है, और इसे सुरक्षित रखना हर नागरिक और प्रशासन की जिम्मेदारी है।



