दिल्ली हाई कोर्ट ने पतंजलि को चेतावनी दी, विज्ञापन हटाने का आदेश दिया
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शुक्रवार, 19 सितंबर को दिल्ली हाई कोर्ट ने योग गुरु बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और पतंजलि फूड्स लिमिटेड को कड़ी फटकार लगाई। यह दोनों कंपनियां डाबर इंडिया के च्यवनप्राश के विज्ञापनों को लेकर चल रहे विवाद में अपनी अपील पर अड़ी थीं। पतंजलि ने पहले दिए गए आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया था कि वे अपने कुछ विज्ञापनों को हटा दें। इन विज्ञापनों में आरोप था कि पतंजलि ने अपने विज्ञापनों में डाबर और अन्य कंपनियों के च्यवनप्राश पर अपमानजनक बातें की थीं।
कोर्ट ने कंपनी से कहा कि या तो वह अपनी अपील वापस ले या फिर भारी जुर्माना भरने को तैयार हो जाए। कोर्ट ने साफ किया कि कंपनी को पूरे विज्ञापन को हटाने का आदेश नहीं दिया गया है, बस कुछ हिस्सों में बदलाव करने को कहा गया है, जिनसे दूसरी कंपनियों की छवि खराब होती है।
यह मामला दिसंबर 2024 में शुरू हुआ था, जब डाबर ने हाई कोर्ट का रुख किया। डाबर का आरोप था कि पतंजलि के विज्ञापनों में भ्रामक बातें की गई हैं, जैसे कि दावा किया गया है कि डाबर का च्यवनप्राश में पारा होता है और वह बच्चों के लिए खतरा है। डाबर ने यह भी कहा कि पतंजलि ने अपने च्यवनप्राश में 51 जड़ी-बूटियों का दावा किया है, जबकि डाबर का दावा है कि उसमें 40 ही जड़ी-बूटियां हैं। डाबर ने आरोप लगाया कि इन बातों से उसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंच रहा है।
जुलाई 2025 में, जज मिनी पुष्करणा ने एक आदेश दिया कि पतंजलि अपने विज्ञापनों को बदलें। इस फैसले के खिलाफ पतंजलि ने अपील की। कंपनी का तर्क था कि उनके विज्ञापनों में डाबर का नाम नहीं लिया गया है और न ही तुलना की गई है। कंपनी ने यह भी कहा कि विज्ञापनों में दी गई बातें सही हैं और भ्रामक नहीं हैं। लेकिन कोर्ट ने उनकी बात नहीं मानी और सुनवाई मंगलवार, 23 सितंबर तक टाल दी।
विवाद के दौरान, बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि उनका अभियान वैध है और इसमें कोई गलत बात नहीं है। कंपनी ने कहा कि उन्होंने अपने विज्ञापनों में डाबर का नाम नहीं लिया है और न ही सीधे तुलना की है। वहीं, कोर्ट ने उनके तर्क को स्वीकार नहीं किया।



