बिहार सरकार का बड़ा सौदा: 1020 एकड़ जमीन एक रुपये में अडानी को
कांग्रेस ने केंद्र सरकार और उद्योगपति गौतम अडानी पर फिर से गंभीर आरोप लगाए हैं। पार्टी के मीडिया विभाग के अध्यक्ष पवन खेड़ा ने 15 सितंबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि बिहार के भागलपुर में अडानी ग्रुप को महज एक रुपये प्रति वर्ष की दर से 1,050 एकड़ जमीन 33 साल के लिए दी गई है, जिसमें पावर प्लांट लगाया जाएगा।
कांग्रेस का आरोप है कि यह जमीन सिर्फ़ सस्ती दर पर ही नहीं, बल्कि उस पर खड़े 10 लाख से ज्यादा आम, लीची और सागौन के पेड़ भी अडानी को सौंप दी गई है। खेड़ा ने कहा कि यह मामला सिर्फ बिहार का नहीं है, बल्कि पहले भी चुनावी राज्यों में इसी तरह की सौगातें अडानी को दी जाती रही हैं।
उन्होंने उदाहरण दिए – महाराष्ट्र चुनाव से पहले अडानी को पावर प्रोजेक्ट और धारावी प्रोजेक्ट मिला। झारखंड चुनाव से पहले गोड्डा प्रोजेक्ट सौंपा गया। 2013 में छत्तीसगढ़ के चुनाव से पहले हसदेव अरण्य का प्रोजेक्ट भी अडानी को मिला था, जब उस समय रमन सिंह की बीजेपी सरकार थी।
पवन खेड़ा ने कहा कि इस बार भी वही कहानी दोहराई जा रही है। बजट में 2400 मेगावॉट बिजली प्रोजेक्ट की घोषणा की गई थी, लेकिन यह नहीं बताया गया कि इसे किस कंपनी को दिया जाएगा। इस प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत करीब 21,400 करोड़ रुपये है।
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार दौरे को भी निशाने पर लिया। खेड़ा का आरोप है कि दौरे के दौरान ग्रामीणों को नज़रबंद किया गया ताकि वे विरोध न कर सकें। उन्होंने कहा कि किसानों पर दबाव डाला गया, जबरन हस्ताक्षर करवाए गए और उनकी जमीनें ले ली गईं। वहीं, इस प्लांट से उत्पादित बिजली बिहार को प्रति यूनिट 6.75 रुपये में बेची जाएगी, जबकि महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में यह रेट 3 से 4 रुपये है।
बिहार बीजेपी ने इन आरोपों का खंडन किया है। पार्टी के मीडिया प्रभारी दानिश इकबाल ने कहा कि इस प्रोजेक्ट में पूरी पारदर्शिता बरती गई है। उन्होंने कहा कि टेंडर निकाला गया था और जिस कंपनी ने सबसे कम दर पर बिजली देने का प्रस्ताव दिया, उसे प्रोजेक्ट मिला। सरकार का काम जमीन उपलब्ध कराना था, जबकि पूरा निवेश अडानी ग्रुप का है। इससे बिहार को सस्ती बिजली मिलेगी और इसमें कोई घोटाला या अनियमितता नहीं है।



