नेपाल में राजनीतिक संकट और बिगड़ते हालात ,सरकार बनाने की कोशिशें
नेपाल में हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं। भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ युवाओं के नेतृत्व में शुरू हुआ प्रदर्शन अब बड़े राजनीतिक संकट में बदल चुका है। के.पी. शर्मा ओली की सरकार के गिरने के बाद काठमांडू और देश के कई क्षेत्रों में हिंसक झड़पें, आगजनी और लूटपाट की घटनाएं हो रही हैं, जिससे स्थिति और भी अस्थिर हो गई है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, सोमवार और मंगलवार को हुए प्रदर्शनों में अब तक 51 लोगों की मौत हो चुकी है। साथ ही, सिन्धुली और रामेछाप जैसे इलाकों में जेल ब्रेक की घटनाओं ने कानून व्यवस्था को बुरी तरह हिला दिया है। सिन्धुली जेल से 471 कैदियों में से 171 को पकड़ लिया गया है, लेकिन अभी भी देशभर में 12,000 से ज्यादा कैदी फरार हैं।
काठमांडू के एक पांच सितारा होटल पर हमले और भारतीय श्रद्धालुओं की बस पर पथराव के बाद, भारत-नेपाल सीमा पर तनाव बढ़ गया है। इसके चलते उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है।
इसी बीच, पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम मुख्य कार्यकारी की जिम्मेदारी सौंपने की चर्चा चल रही है। साथ ही, राष्ट्रपति भवन में युवा नेता सुदान गुरुंग की वार्ता ने नई सरकार बनाने की आशा को जगा दिया है।
बृहत नागरिक आंदोलन (BNA) ने सेना की बढ़ती भूमिका पर सवाल उठाए हैं और आरोप लगाया है कि राजतंत्र बहाली की साजिश हो रही है। पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह की शांति अपील और प्रो-मोनार्की प्रदर्शनों ने राजनीतिक हलकों में नई बहस को जन्म दिया है।
भारतीय दूतावास ने नेपाल में फंसे पर्यटकों और श्रद्धालुओं को सुरक्षित निकालने के लिए हवाई और सड़क मार्ग से अभियान शुरू किया है। इसके साथ ही, आवश्यक सामान से भरे ट्रकों को नेपाल भेजा जा रहा है ताकि स्थिति को नियंत्रित किया जा सके।



