रूस-यूक्रेन युद्ध: ट्रंप की प्रतिबंधों की धमकी और वार्ता की उम्मीदें धूमिल
रूस-यूक्रेन वार्ता का मामला अभी ठंडे बस्ते में चला गया है, लेकिन रूस की तेज़ कार्रवाई से साफ है कि वह अभी भी समझौते के मूड में नहीं है। इस स्थिति को देखते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिए हैं कि वे रूस पर दूसरे चरण के प्रतिबंध लगाने की तैयारी में हैं। ट्रंप ने कहा कि वे इस दिशा में कदम उठाने के लिए तैयार हैं, लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि ये नए प्रतिबंध किस तरह के होंगे या किन देशों और कंपनियों को प्रभावित करेंगे।
ट्रंप ने यह बात व्हाइट हाउस में एक पत्रकार के सवाल के जवाब में कही। उनसे पूछा गया था कि कूटनीतिक प्रयास विफल होने के बाद क्या वे रूस पर नए प्रतिबंध लगाने के लिए तैयार हैं। इसके जवाब में ट्रंप ने सीधे कहा—‘हां, मैं तैयार हूं’। कुछ दिनों पहले पोलैंड के राष्ट्रपति के साथ वार्ता के दौरान भी उनसे यही सवाल पूछा गया था, तब वे नाराज हो गए थे, लेकिन इस बार उन्होंने इस पर प्रतिक्रिया दी।
लंबे समय से ट्रंप रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के साथ त्रिपक्षीय बातचीत की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अभी तक इसमें सफलता नहीं मिली है। उनके बयान से ऐसा प्रतीत होता है कि ट्रंप अपनी कोशिशों में निराश हैं और अब दबाव बनाने की नीति अपना रहे हैं।
दूसरी ओर, यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने शनिवार रात हुए रूस के बड़े हमले के बाद कहा कि रूस यह दिखाना चाहता है कि वह दुनिया को कितनी सहनशीलता दिखाने का मौका दे सकता है।
अमेरिका के रूस और यूक्रेन मामलों के विशेष दूत कीथ केलीग ने भी रूस के हमले की निंदा की है। उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा—‘यह हमला इस बात का संकेत नहीं है कि रूस युद्ध को कूटनीतिक रूप से समाप्त करना चाहता है, बल्कि यह युद्ध को और बढ़ाने का संकेत है।’ कहा जा रहा है कि यह रविवार को हुआ हमला 2022 में युद्ध शुरू होने के बाद का सबसे बड़ा हवाई हमला था, जिसमें कीव में यूक्रेन की सरकार की इमारतों को निशाना बनाया गया।
रूस अभी तक यूक्रेन की लगभग 20 प्रतिशत जमीन पर कब्जा कर चुका है। हालांकि युद्ध में उसे भी भारी नुकसान उठाना पड़ा है, लेकिन वह पीछे हटने के बजाय धीरे-धीरे अपने कब्जे को बढ़ाने में लगा है।
हाल के हफ्तों में ट्रंप ने संकेत दिए हैं कि वह इस युद्ध को खत्म करने के लिए अलग रास्ता अपनाना चाहते हैं, लेकिन अभी तक उनके प्रयासों में कोई ठोस सफलता नहीं मिली है। इसलिए अब वह प्रतिबंधों का सहारा लेकर रूस पर दबाव डालना चाहते हैं, ताकि युद्ध को रोका जा सके या रूस को बातचीत के लिए मजबूर किया जा सके।



