पंजाब में भारी बाढ़ संकट: मौतें, प्रभावित लोग और राहत कार्य जारी
पंजाब पिछले एक महीने से भारी बाढ़ से जूझ रहा है। 1 अगस्त से अब तक बाढ़ के कारण 30 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 2.56 लाख लोग प्रभावित हैं। इसे पंजाब की सबसे गंभीर प्राकृतिक आपदा माना जा रहा है। सतलुज, ब्यास और रावी नदियों के उफान और मौसमी नालों में पानी के बढ़ने से कई जिलों में भारी तबाही हुई है।
सबसे ज्यादा प्रभावित अमृतसर है, जहां 35,000 से अधिक लोग बाढ़ की चपेट में आए हैं। उसके बाद फिरोजपुर, फाजिल्का, पठानकोट, गुरदासपुर, होशियारपुर, जालंधर, कपूरथला, मोगा, मानसा और बरनाला जैसे जिले हैं।
बाढ़ से सबसे ज्यादा 6 मौतें पठानकोट में हुई हैं, जबकि अमृतसर, बरनाला, होशियारपुर, लुधियाना, मानसा और रूपनगर में 3-3 लोग मारे गए हैं। कुछ जगहों पर तीन लोग अभी भी लापता हैं।
अब तक लगभग 15,688 लोग सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाए गए हैं। सबसे अधिक गुरदासपुर में 5,549 लोगों को बचाया गया है, उसके बाद फिरोजपुर, फाजिल्का, अमृतसर और पठानकोट में भी बड़ी संख्या में लोगों को सुरक्षित निकाला गया है।
बाढ़ का कारण हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के जलग्रहण क्षेत्रों में भारी बारिश है। इससे सतलुज, ब्यास, रावी नदियों और नालों का जलस्तर बढ़ गया है।
गांवों में भी बाढ़ ने कहर बरपाया है। लगभग 1300 गांव प्रभावित हैं, जिनमें करीब 2,56,107 लोग फंसे हैं। खेती की जमीन भी बाढ़ की चपेट में आ गई है। पशुधन को बड़ा नुकसान पहुंचा है, लेकिन सही आंकड़े पानी उतरने के बाद ही पता चलेंगे।
राहत कार्यों में NDRF, SDRF, सेना और पंजाब पुलिस लगी हुई हैं। अब तक करीब 14,936 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है।
हालांकि राहत-बचाव का काम जारी है, लेकिन अभी भी बड़ी संख्या में लोग प्रभावित हैं। सरकार का कहना है कि पानी उतरने के बाद ही पूरी तस्वीर का पता चल सकेगा।



