IPS अखिल कुमार अचानक रिलीव, सवालों के घेरे में आदेश
कानपुर: शहर में अपराध और सिंडीकेट्स पर नकेल कसने वाले पुलिस कमिश्नर IPS अखिल कुमार को केंद्र सरकार ने तत्काल प्रभाव से कार्यमुक्त कर दिया है। गृह मंत्रालय की ओर से जारी इस आदेश से कानपुर में हलचल मच गई है, खासकर उस समय जब वकील अखिलेश दुबे प्रकरण पूरे शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है।
गृह मंत्रालय के अंडर सेक्रेटरी संजीव कुमार ने यूपी के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर निर्देश दिया है कि अखिल कुमार को तुरंत रिलीव किया जाए। यह पत्र डीजीपी, आईटी मंत्रालय और डीओपीटी को भी भेजा गया है।
अखिल कुमार ने 4 जनवरी 2024 को कानपुर पुलिस कमिश्नर का पद संभाला था। इसके तुरंत बाद उन्होंने ऑपरेशन महाकाल शुरू किया, जिसमें वकील अखिलेश दुबे को जमीन कब्जे और रंगदारी के गंभीर आरोपों में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। दुबे का कनेक्शन सिंडीकेट्स और अपराधियों से बताया जा रहा है।
सोशल मीडिया पर इन कार्रवाईयों की तस्वीरें वायरल हो रही हैं, और वकील अखिलेश दुबे के समर्थन में कई पत्रकार और अधिकारी सोशल मीडिया पर एकजुट हैं। लेकिन, कार्रवाई के पीछे के सबूत और SIT की रिपोर्ट को आधार माना जा रहा है।
बता दें कि 19 अगस्त को अखिल कुमार ने ऑपरेशन महाकाल पार्ट-2 लॉन्च किया, जिसमें सफेदपोश अपराधियों और भूमाफियाओं पर कार्रवाई का फोकस था। इस बार का अभियान खास तौर पर दबाव डाल रहा है, जिसमें कहा गया है कि “कानपुर के दूसरे बड़े माफियाओं की भी जल्द गिरफ्तारी होगी।”
वहीं, केंद्र सरकार ने 25 अगस्त की रात अखिल कुमार का ट्रांसफर डिजिटल इंडिया कॉर्पोरेशन में MD और CEO पद पर कर दिया। सामान्य प्रक्रिया के तहत उनके कार्यमुक्त होने का समय एक महीने का होता, लेकिन अचानक गृह मंत्रालय ने सीधे आदेश जारी कर दिए।
स्थानीय राजनीतिक हलकों में इसे वकील अखिलेश दुबे के प्रभाव से जोड़कर देखा जा रहा है, लेकिन सरकारी सूत्र इसे सामान्य प्रक्रिया बता रहे हैं। वरिष्ठ आईपीएस अखिल कुमार नवंबर में डीजी रैंक पर प्रमोशन पाएंगे, लेकिन कानपुर में उनकी अप्रत्याशित विदाई ने पुलिस महकमे और शहर दोनों को चौंका दिया है।
अब यह सवाल उठा रहा है कि क्या यह आदेश महज प्रशासनिक प्रक्रिया है या फिर अपराध सिंडीकेट्स की ताकत का परिणाम? शहर के लोग इस सवाल का जवाब खोज रहे हैं, और देखना है कि आगे की कार्रवाई क्या रुख अख्तियार करती है।



